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"अब रिवायात से हटकर देखो / चाँद शुक्ला हदियाबादी" के अवतरणों में अंतर
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13:50, 26 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
तुम् रिवायात से हटकर देखो
अपने घूँघट को पलटकर देखो
दोस्तों से तो गले मिलते हो
दुश्मनों से भी लिपट कर देखो
उतनी फैलाओ कि तन ढँक जाए
अपनी चादर में सिमट कर देखो
स्वर्ग के ढोल सुहाने सपने
पहले दुनिया से निपट कर देखो
और फैले तो बिखर जाओगे
’चाँद’ की तरह भी घट कर देखो