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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=मुनव्वर राना|संग्रह=मुहाजिरनामा / मुनव्वर राना}}{{KKCatGhazal}}<poem><poem>
मुहाजिर हैं मगर हम एक दुनिया छोड़ आए हैं,
तुम्हारे पास जितना है हम उतना छोड़ आए हैं ।