भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हम जो नीम तारीक राहों में मारे गए / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: हम जो नीम तारीक राहों में मारे गए । तेरे होठों के फूलों की चाहत मे…)
(कोई अंतर नहीं)

11:41, 17 फ़रवरी 2011 का अवतरण

हम जो नीम तारीक राहों में मारे गए ।

तेरे होठों के फूलों की चाहत में दार की ख़ुश्क टहनी पे वारे गए । हम जो नीम तारीक राहों में मारे गए ।

दार - फ़ाँसी का तख़्त, तारीक - अंधेरे, नीम - धुधला, कम रोशन

......

चले आए जहाँ तक लाए क़दम लबों पर हर्फ़-ए-ग़ज़ल दिल में क़िन्दील-ए-ग़म । अपमा ग़म था गवाही तेरे हुस्न की देख इस गवाही पर क़ायम रहे हम ।

(To be completed)