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"आने वालों से कहो हम तो गुज़र जायेंगे / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़" के अवतरणों में अंतर
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12:48, 23 फ़रवरी 2011 का अवतरण
हम मुसाफिर युँही मसरूफे सफर जायेंगे, बेनिशाँ हो गए जब शहर तो घर जायेंगे
किस कदर होगा यहाँ मेहर-ओ-वफा का मातम हम तेरी याद से जिस रोज़ उतर जायेंगे
जौहरी बंद किये जाते हैं बाज़ारे-सुखन, हम किसे बेचने अलमास-ओ-गुहर जायेंगे
शायद अपना ही कोई बैत, हुदी-खवाँ बनकर साथ जायेगा मेरे यार जिधर जायेंगे
"फैज़" आते हैं राहे-इशक में जो सखत मकाम, आने वालों से कहो हम तो गुज़र जायेंगे...........
01. मेहर-ओ-वफा - मुहबबत और वफा 02. बाज़ारे-सुखन - शायरी का बाज़ार 03. अलमास-ओ-गुहर - कीमती पथतर 04. बैत - शेयर या दोहा 05. हुदी-खवाँ - गाने वाला राहगीर