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"दीपक विश्वास के / शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर

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दीपक विश्वास के  
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आंखों में  
 
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कौंध रहे  
 
कौंध रहे  

15:45, 26 फ़रवरी 2011 का अवतरण

दीपक विश्वास के
 
आंखों में
कौंध रहे
सपने आकाश के
आओ हम जला धरें
दीपक विश्वास के
सत्कर्मो
की बाती
तेल भरें नेेह का
अंधियारा दूर करे
हम अपने गेह का
पांवों में चुभें नहीं
कांटे संत्रास के
दमक उठे
मुन्डेरी
दमक उठे द्वार
सूरज भी
शीश झुका
स्वीकारे हार
जीवन की बगिया में
फूल खिलें आस के।