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"आने वालों से कहो हम तो गुज़र जायेंगे / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़" के अवतरणों में अंतर

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हम मुसाफिर युँही मसरूफे सफर जायेंगे,
 
हम मुसाफिर युँही मसरूफे सफर जायेंगे,
 
बेनिशाँ हो गए जब शहर तो घर जायेंगे
 
बेनिशाँ हो गए जब शहर तो घर जायेंगे
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"फैज़" आते हैं राहे-इशक में जो सखत मकाम,
 
"फैज़" आते हैं राहे-इशक में जो सखत मकाम,
 
आने वालों से कहो हम तो गुज़र जायेंगे...........
 
आने वालों से कहो हम तो गुज़र जायेंगे...........
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01. मेहर-ओ-वफा - मुहबबत और वफा
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# मेहर-ओ-वफा - मुहबबत और वफा
02. बाज़ारे-सुखन - शायरी का बाज़ार
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# बाज़ारे-सुखन - शायरी का बाज़ार
03. अलमास-ओ-गुहर - कीमती पथतर
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# अलमास-ओ-गुहर - कीमती पथतर
04. बैत - शेयर या दोहा
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# बैत - शेयर या दोहा
05. हुदी-खवाँ - गाने वाला राहगीर
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# हुदी-खवाँ - गाने वाला राहगीर

07:17, 28 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण

हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।

हम मुसाफिर युँही मसरूफे सफर जायेंगे,
बेनिशाँ हो गए जब शहर तो घर जायेंगे

किस कदर होगा यहाँ मेहर-ओ-वफा का मातम
हम तेरी याद से जिस रोज़ उतर जायेंगे

जौहरी बंद किये जाते हैं बाज़ारे-सुखन,
हम किसे बेचने अलमास-ओ-गुहर जायेंगे

शायद अपना ही कोई बैत, हुदी-खवाँ बनकर
साथ जायेगा मेरे यार जिधर जायेंगे

"फैज़" आते हैं राहे-इशक में जो सखत मकाम,
आने वालों से कहो हम तो गुज़र जायेंगे...........

  1. मेहर-ओ-वफा - मुहबबत और वफा
  2. बाज़ारे-सुखन - शायरी का बाज़ार
  3. अलमास-ओ-गुहर - कीमती पथतर
  4. बैत - शेयर या दोहा
  5. हुदी-खवाँ - गाने वाला राहगीर