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"हिमालय / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल" के अवतरणों में अंतर

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'''हिमालय'''  
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'''कविता का एक अंश ही उपलब्ध है । शेषांश आपके पास हो तो कृपया जोड़ दें या कविता कोश टीम को भेज दें'''
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हिमगिरि के शिखरों पर  
 
हिमगिरि के शिखरों पर  
 
हिम की रेखा पतली
 
हिम की रेखा पतली
 
शेष रही अब और कगारों में
 
शेष रही अब और कगारों में
 
कुछ निचली
 
कुछ निचली
और गयी रेखायंें हिम की
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और गई रेखाएँ हिम की
 
खाकी नीली
 
खाकी नीली
हिमबिहीन हैं इन्द्र नील  
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हिमविहीन हैं इन्द्र नील  
 
मणियों का टीला
 
मणियों का टीला
 
गए मेघ वर्षा के अम्बर से गिरि के
 
गए मेघ वर्षा के अम्बर से गिरि के
 
हिम जल से गंभीर  
 
हिम जल से गंभीर  
किनारे कर सरि सरि के
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किनारे कर सरि-सरि के
हंस सुर्य फिर पर्वत पंुज अनेक पार कर
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हंस-सूर्य फिर पर्वत पुंज अनेक पार कर
हंसता जैसे पथिक सुख भरे गृह में आकर  
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हँसता जैसे पथिक सुख भरे गृह में आकर  
(हिमालय कविता से )
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21:09, 7 मार्च 2011 के समय का अवतरण

कविता का एक अंश ही उपलब्ध है । शेषांश आपके पास हो तो कृपया जोड़ दें या कविता कोश टीम को भेज दें

हिमगिरि के शिखरों पर
हिम की रेखा पतली
शेष रही अब और कगारों में
कुछ निचली
और गई रेखाएँ हिम की
खाकी नीली
हिमविहीन हैं इन्द्र नील
मणियों का टीला
गए मेघ वर्षा के अम्बर से गिरि के
हिम जल से गंभीर
किनारे कर सरि-सरि के
हंस-सूर्य फिर पर्वत पुंज अनेक पार कर
हँसता जैसे पथिक सुख भरे गृह में आकर