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"राखी / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल" के अवतरणों में अंतर

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''' राखी'''  
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'''कविता का एक अंश ही उपलब्ध है । शेषांश आपके पास हो तो कृपया जोड़ दें या कविता कोश टीम को भेज दें'''
(नारी के प्रति नवीन दृष्टिकोण )
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भाई बहिन मिलेंगे  
 
भाई बहिन मिलेंगे  
 
मानो पहली बार मिले हों  
 
मानो पहली बार मिले हों  
हम मिलते होें
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हम मिलते हों
 
माँ के लोचन हमें देख गीले हों  
 
माँ के लोचन हमें देख गीले हों  
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पा गयी आज तुम भैया,  
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पा गई आज तुम भैया,  
 
पा गया हूँ मैं बहन,  
 
पा गया हूँ मैं बहन,  
 
माँ तुम्हारे शून्य उर में  
 
माँ तुम्हारे शून्य उर में  
आ गया रून-झुन।
+
आ गया रुन-झुन ।
(राखी कविता का अंश)
+
 
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21:19, 7 मार्च 2011 का अवतरण

कविता का एक अंश ही उपलब्ध है । शेषांश आपके पास हो तो कृपया जोड़ दें या कविता कोश टीम को भेज दें
 
भाई बहिन मिलेंगे
मानो पहली बार मिले हों
हम मिलते हों
माँ के लोचन हमें देख गीले हों
..............
 
पा गई आज तुम भैया,
पा गया हूँ मैं बहन,
माँ तुम्हारे शून्य उर में
आ गया रुन-झुन ।