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"सितम सिखलाएगा रस्मे-वफ़ा ऐसे नहीं होता / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़" के अवतरणों में अंतर
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सितम सिखलाएगा रस्मे-वफ़ा ऐसे नहीं होता | सितम सिखलाएगा रस्मे-वफ़ा ऐसे नहीं होता | ||
− | सनम | + | सनम दिखलाएँगे राहे-ख़ुदा ऐसे नहीं होता |
गिनो सब हसरतें जो ख़ूँ हुई हैं तन के मक़तल<ref>हत्यास्थल</ref> में | गिनो सब हसरतें जो ख़ूँ हुई हैं तन के मक़तल<ref>हत्यास्थल</ref> में | ||
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जहाने दिल में काम आती हैं तदबीरें न ताज़ीरें<ref>न युक्तियाँ न सज़ाएँ</ref> | जहाने दिल में काम आती हैं तदबीरें न ताज़ीरें<ref>न युक्तियाँ न सज़ाएँ</ref> | ||
− | यहाँ पैमाने- | + | यहाँ पैमाने-तस्लीमो-रज़ा<ref>हर बात मानने की प्रतिज्ञा</ref>ऐसे नहीं होता |
हर इक शब हर घड़ी गुजरे क़यामत, यूँ तो होता है | हर इक शब हर घड़ी गुजरे क़यामत, यूँ तो होता है | ||
− | मगर हर सुबह हो रोजे़-जज़ा<ref> | + | मगर हर सुबह हो रोजे़-जज़ा<ref>फ़ल-प्राप्ति का दिन</ref>, ऐसे नहीं होता |
− | रवाँ है नब्ज़े-दौराँ<ref>युग की धड़कन</ref>, गार्दिशों<ref> | + | रवाँ है नब्ज़े-दौराँ<ref>युग की धड़कन</ref>, गार्दिशों<ref>चक्कर</ref> में आसमाँ सारे |
जो तुम कहते हो सब कुछ हो चुका, ऐसे नहीं होता | जो तुम कहते हो सब कुछ हो चुका, ऐसे नहीं होता | ||
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03:12, 13 मार्च 2011 का अवतरण
सितम सिखलाएगा रस्मे-वफ़ा ऐसे नहीं होता
सनम दिखलाएँगे राहे-ख़ुदा ऐसे नहीं होता
गिनो सब हसरतें जो ख़ूँ हुई हैं तन के मक़तल<ref>हत्यास्थल</ref> में
मेरे क़ातिल हिसाबे-खूँबहा<ref>ख़ून के बदले का हिसाब</ref>ऐसे नहीं होता
जहाने दिल में काम आती हैं तदबीरें न ताज़ीरें<ref>न युक्तियाँ न सज़ाएँ</ref>
यहाँ पैमाने-तस्लीमो-रज़ा<ref>हर बात मानने की प्रतिज्ञा</ref>ऐसे नहीं होता
हर इक शब हर घड़ी गुजरे क़यामत, यूँ तो होता है
मगर हर सुबह हो रोजे़-जज़ा<ref>फ़ल-प्राप्ति का दिन</ref>, ऐसे नहीं होता
रवाँ है नब्ज़े-दौराँ<ref>युग की धड़कन</ref>, गार्दिशों<ref>चक्कर</ref> में आसमाँ सारे
जो तुम कहते हो सब कुछ हो चुका, ऐसे नहीं होता
शब्दार्थ
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