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"होली का मौसम आया है / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’" के अवतरणों में अंतर

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होली आई, होली आई ।   
 
होली आई, होली आई ।   

18:49, 15 मार्च 2011 के समय का अवतरण

होली आई, होली आई ।
गुजिया, मठरी, बरफ़ी लाई ।।
   
मीठे-मीठे शक्करपारे,
सजे -धजे पापड़ हैं सारे ।
चिप्स कुरकुरे और करारे,
दहीबड़े हैं प्यारे-प्यारे ।।
    
तन-मन में मस्ती उभरी है,
पिस्ता बरफ़ी हरी-भरी है ।
पीले, हरे गुलाल लाल हैं,
रंगों से सज गये थाल हैं ।।
  
कितने सुन्दर, कितने चंचल,
हाथों में होली की हलचल,
फागुन सबके मन भाया है!
होली का मौसम आया है!!