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"मत बुझना / रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'" के अवतरणों में अंतर
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18:35, 17 मार्च 2011 का अवतरण
रात अभी आधी बाकी है 
मत बुझना मेरे दीपक मन 
चाँद चाँदनी की मुरझाई
छिपा चाँद यौवन का तुममें 
आयु रागिनी भी अकुलाती
रह रहकर बिछुड़न के भ्रम में
जलते रहे स्नेह के क्षण ये 
जीवन सम्मुख है ध्रुवतारा
तुम बुझने का नाम लेना
जब तक जीवन में अँधियारा 
अपने को पीकर जीना है 
हो कितना भी सूनापन
रात अभी आधी बाकी है 
मत बुझना मेरे दीपक मन 
तुमने विरहाकुल संध्या की
भर दी माँग अरुणिमा देकर
तम के घिरे बादलों को भी
राह दिखाई तुमने जलकर
तुम जाग्रत सपनों के साथी
स्तब्ध निशा को सोने देना
धन्य हो रहा है मेरा विश्वास
तुम्ही से पूजित होकर
जलती बाती मुक्त कहाती 
दाह बना कब किसको बंधन
रात अभी आधी बाकी है 
मत बुझना मेरे दीपक मन
 
	
	

