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रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'
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रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'
जन्म | 01 मई 1915 |
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निधन | 12 अक्टूबर 1995 |
उपनाम | अंचल |
जन्म स्थान | किशनपुर, फ़तेहपुर, उत्तर प्रदेश, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
अपराजिता, किरण बेला, वर्षांत के बादल और विराम चिन्ह | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
रामेश्वर शुक्ल 'अंचल' / परिचय |
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- उतना तुम में विश्वास बढा / रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'
- इन दीपों से जलते झलमल / रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'
- काँटे मत बोओ / रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'
- काननबाला / रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'
- चुकने दो / रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'
- जब नींद नहीं आती होगी / रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'
- तुम कैसे नद हो जो टंगे रहे हिम की दीवारों पर / रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'
- तुम्हारे सामने / रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'
- तृष्णा / रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'
- द्वार खोलो / रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'
- दीपक माला / रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'
- दीपक मेरे मैं दीपों की / रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'
- दीपावली / रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'
- दो सजा मुझको असंयत कामना के ज्वार पर / रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'
- धुंध डूबी खोह / रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'
- नभ के तारे की क्या आशा / रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'
- पास न आओ / रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'
- पावस गान / रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'
- फिर तुम्हारे द्वार पर / रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'
- भूलने में सुख मिले तो भूल जाना / रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'
- मत टूटो / रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'
- मत बुझना / रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'
- मेरा दीपक / रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'
- मेरा वश चलता तो मैं बन जाता कौमार्य तुम्हारा / रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'
- मुझे बाहर निकलने दो / रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'
- ले चलो नौका अतल में / रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'
- स्वप्न और सत्य / रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'