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"प्यास की कैसे लाए / जावेद अख़्तर" के अवतरणों में अंतर
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आने वाला है फिर अज़ाब कोई | आने वाला है फिर अज़ाब कोई |
03:00, 16 जून 2007 के समय का अवतरण
प्यास की कैसे लाए ताब कोई
नहीं दरिया तो हो सराब कोई
रात बजती थी दूर शहनाई
रोया पीकर बहुत शराब कोई
कौन सा ज़ख़्म किसने बख़्शा है
उसका रखे हिसाब कोई
फिर मैं सुनने लगा हूँ इस दिल की
आने वाला है फिर अज़ाब कोई