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"तुम एक सपना थी! / आलोक श्रीवास्तव-२" के अवतरणों में अंतर
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− | |रचनाकार=आलोक श्रीवास्तव-२
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− | |संग्रह=जब भी वसन्त के फूल खिलेंगे / आलोक श्रीवास्तव-२
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− | <Poem>
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− | एक भावना मर रही है
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− | धीमे-धीमे
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− | अस्त हो रहा है मेरे लहू में एक सूर्य
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− | लोहित जल पर
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− | एक थरथराती छाया
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− | यह तुम हो
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− | गोधूलि के झुटपुटे में
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− | आकाश में उनींदे बादल हैं
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− | भाग रहा है सारा शहर
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− | दूर तक झिलमिलाता
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− | रोशनियों का जंगल है
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− | एक स्वप्न तब्दील हो रहा है
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− | एक छाया में
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− | जल में विलीन होती यह छाया
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− | यहां कभी थी
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− | यह कौन जानेगा बरसों बाद?
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− | तुम एक सपना थीं-
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− | रात का, चांद का, बादलों का
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− | फूलों का एक वितान था तुम्हारे चारों ओर
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− | रहस्य की अजीब पंखुरियां तुम्हें घेरे थीं
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− | इतिहास के भयावह अंधकार में से
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− | सहसा उजागर हो उठी
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− | एक मुकम्मल शख़्सियत
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− | धुंध में से छनता हुआ
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− | धूप का एक राग
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− | एक ख़ामोश साया
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− | कौन जानेगा बरसों बाद
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− | यहां, इसी शहर में
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− | कभी था?
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− | यह जो टूट रहा है, मर रहा है
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− | डूब रहा है
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− | अस्त हो रहे सूर्य के इस सागर में
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− | प्यार नहीं है, भावना नहीं है
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− | एक समूची दुनिया है
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− | बरसों बाद कहां होगी यह दुनिया?
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− | सागर के ख़ामोश किनारे पर
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− | मैं किसे तलाशूंगा?
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12:15, 21 मार्च 2011 के समय का अवतरण