भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"चोंच में आकाश / पूर्णिमा वर्मन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पूर्णिमा वर्मन }} Category:गीत एक पाखी <br> चोंच में आकाश लेकर...)
(कोई अंतर नहीं)

16:52, 16 जून 2007 का अवतरण

एक पाखी
चोंच में आकाश लेकर
उड़ रहा है
एक राजा प्रेम का
इक रूपरानी
झूलती सावन की
पेंगों-सी कहानी
और रिमझिम
खोल सिमसिम
मन कहीं सपनों सरीखा
जुड़ रहा है
एक पाखी
पंख में उल्लास लेकर
उड़ रहा है
जो व्यथा को
पार कर पाया नहीं
वह कथा में सार
भर पाया नहीं
छोड़ हलचल
बस उड़ा चल
क्यों उदासी की डगर में
मुड़ रहा है
एक पाखी
साँस में विश्वास लेकर
उड़ रहा है