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02:07, 25 मार्च 2011 के समय का अवतरण

चमक रहे हैं
हमारे स्वागत में
दिन के नए पन्ने

इन्हीं में लिखनी है हमें
अपनी कहानियाँ
देना है अपना बयान

कि इन्हें बचना है
आग की लपटों से
ख़ून के धब्बों से