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"भोपालःशोकगीत 1984 - इस शहर को छोड़कर / राजेश जोशी" के अवतरणों में अंतर
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23:40, 3 अक्टूबर 2008 के समय का अवतरण
जो छोड़कर गए थे
सब लौट आये, सब लौट आयेंगे एक दिन।
इस शहर को छोड़कर
अब कभी नहीं जा पायेंगे हम.
जिस मिट्टी के नीचे दबी हों
अपनों की हड्डियाँ
कोई छोड़कर जा भी कैसे सकता है
वह जगह !
इससे ज़्यादा कोई बिगाड़ भी क्या सकता है
किसी शहर का !
अब मृत्यु से कभी नहीं डर पायेंगे हम।
अब चाहकर भी कभी इस शहर से
नफ़रत नहीं कर पायेंगे हम।