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"भोपालःशोकगीत 1984 - वृक्षों का प्रार्थना गीतः1 / राजेश जोशी" के अवतरणों में अंतर

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'''वृक्षों का प्रार्थना गीत : एक'''<br><br>
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मत छुओ, हमें मत छुओ बसंत।<br>
 
मत छुओ, हमें मत छुओ बसंत।<br>
 
अब नहीं हो सकता<br>
 
अब नहीं हो सकता<br>

23:40, 3 अक्टूबर 2008 के समय का अवतरण

मत छुओ, हमें मत छुओ बसंत।
अब नहीं हो सकता
छुपम छुपैया का खेल।

तुम छुओ और हम उड़ जायें
अंतरिक्ष में
लुक जायें किसी नक्षत्र, किसी ग्रह, उपग्रह
या तारे की आड़ में

हमें डस लिया है एक बिषैली रात ने
मत छुओ, हमें मत छुओ बसंत!