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"शांताकारम भुजंगशयनम / श्लोक" के अवतरणों में अंतर
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(New page: श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणम् . नवकञ्ज लोचन कञ्ज मुखकर क...) |
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16:37, 25 मार्च 2011 के समय का अवतरण
शांताकारं भुजगशयनं पद्यनाभं सुरेशम् । विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्णं शुभांगम् ।
लक्ष्मीकांतं कमलनयनं योगिभिर्ज्ञानगम्यम् । वंदे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैक नाथम् ॥
