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"बरफ-सिलान की बिछायत बनाय करि/ ग्वाल" के अवतरणों में अंतर
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बरफ-सिलान की बिछायत बनाय करि,
सेज संदली पै कंज-दल पाटियतु है ।
गालिब गुलाब जल-जाल के फुहारे छूटें,
खूब खसखने पर गुलाब छाँटियतु है ॥
ग्वाल कवि सुंदर सुराही फेरि, सोरा में-
औरा कौ बनाय रस,प्यास डारियतु है ।
हिमकर-आननी हिवाला सी हिए तें लाय,
ग्रीषम की ज्वाला के कसाला काटियतु है ॥