भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"क्या सच में वह वसंत था ! / आलोक श्रीवास्तव-२" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=आलोक श्रीवास्तव-२ | |रचनाकार=आलोक श्रीवास्तव-२ | ||
|संग्रह=वेरा, उन सपनों की कथा कहो! / आलोक श्रीवास्तव-२ | |संग्रह=वेरा, उन सपनों की कथा कहो! / आलोक श्रीवास्तव-२ | ||
− | }} | + | }}{{KKAnthologyBasant}} |
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
<Poem> | <Poem> |
18:53, 28 मार्च 2011 के समय का अवतरण
वसंत मैंने तुम्हारी आंखों में देखा था
बरसों से नहीं देखीं
तुम्हारी आंखें
देखा है -
बस एक उदास मौसम
जो सहमा-सा आता है
और
आहिस्ता से गुजर जाता है !
क्या सच में
वह वसंत था?
कहाँ से आया था वह
तुम्हारी आंखों में ?