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"वसंत / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर

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नव वसंत खिला जब भाग्य सा,
 
नव वसंत खिला जब भाग्य सा,
 
 
भुवन में तब जीवन आ गया,
 
भुवन में तब जीवन आ गया,
 
 
गगन ने उस को अपनाव से,
 
गगन ने उस को अपनाव से,
 
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अतुल गौरव से, अपना किया
अतुल गौरव से, अपना किया.
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18:54, 28 मार्च 2011 के समय का अवतरण

नव वसंत खिला जब भाग्य सा,
भुवन में तब जीवन आ गया,
गगन ने उस को अपनाव से,
अतुल गौरव से, अपना किया ।