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"ताजमहल : मात्र दूरी / शलभ श्रीराम सिंह" के अवतरणों में अंतर
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इस विस्तृत-वीरान काल-खण्ड पर
उकुड़ूं-उदास बैठी है एक दूरी ।
दूरी : जो हरम से धक्के देकर निकाल दी गई है !
ख्वाबगाहों से ज़लील होकर लौटी है !
क्योंकि : यह, वह नहीं थी
जो अधिकांश थे !
इसने वह नहीं जिया
जो अधिकांश जीते हैं
वह नहीं देखा
जो अधिकांश देखेंगे !
यह तो सिर्फ एक तिरस्कृत दूरी है !
ज़लील-उदास-थकी-हारी दूरी-मात्र दूरी !
(1965)