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"तुम्हारे पाँव के नीचे कोई ज़मीन नहीं / दुष्यंत कुमार" के अवतरणों में अंतर
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तुम्हारे पाँव के नीचे कोई ज़मीन नहीं | तुम्हारे पाँव के नीचे कोई ज़मीन नहीं | ||
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कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यक़ीन नहीं | कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यक़ीन नहीं | ||
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मैं बेपनाह अँधेरों को सुब्ह कैसे कहूँ | मैं बेपनाह अँधेरों को सुब्ह कैसे कहूँ | ||
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मैं इन नज़ारों का अँधा तमाशबीन नहीं | मैं इन नज़ारों का अँधा तमाशबीन नहीं | ||
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तेरी ज़ुबान है झूठी ज्म्हूरियत की तरह | तेरी ज़ुबान है झूठी ज्म्हूरियत की तरह | ||
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तुम्हीं से प्यार जतायें तुम्हीं को खा जाएँ | तुम्हीं से प्यार जतायें तुम्हीं को खा जाएँ | ||
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अदीब यों तो सियासी हैं पर कमीन नहीं | अदीब यों तो सियासी हैं पर कमीन नहीं | ||
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तुझे क़सम है ख़ुदी को बहुत हलाक न कर | तुझे क़सम है ख़ुदी को बहुत हलाक न कर | ||
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तु इस मशीन का पुर्ज़ा है तू मशीन नहीं | तु इस मशीन का पुर्ज़ा है तू मशीन नहीं | ||
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बहुत मशहूर है आएँ ज़रूर आप यहाँ | बहुत मशहूर है आएँ ज़रूर आप यहाँ | ||
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ये मुल्क देखने लायक़ तो है हसीन नहीं | ये मुल्क देखने लायक़ तो है हसीन नहीं | ||
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तुम्हारे हाथ में कालर हो, आस्तीन नहीं | तुम्हारे हाथ में कालर हो, आस्तीन नहीं | ||
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11:32, 4 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
तुम्हारे पाँव के नीचे कोई ज़मीन नहीं
कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यक़ीन नहीं
मैं बेपनाह अँधेरों को सुब्ह कैसे कहूँ
मैं इन नज़ारों का अँधा तमाशबीन नहीं
तेरी ज़ुबान है झूठी ज्म्हूरियत की तरह
तू एक ज़लील-सी गाली से बेहतरीन नहीं
तुम्हीं से प्यार जतायें तुम्हीं को खा जाएँ
अदीब यों तो सियासी हैं पर कमीन नहीं
तुझे क़सम है ख़ुदी को बहुत हलाक न कर
तु इस मशीन का पुर्ज़ा है तू मशीन नहीं
बहुत मशहूर है आएँ ज़रूर आप यहाँ
ये मुल्क देखने लायक़ तो है हसीन नहीं
ज़रा-सा तौर-तरीक़ों में हेर-फेर करो
तुम्हारे हाथ में कालर हो, आस्तीन नहीं