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ज्मुना ज्यों ज्यों लागी बाढ़न। | ज्मुना ज्यों ज्यों लागी बाढ़न। | ||
त्यों त्यों सुकृत-सुभट कलि भूपहिं, निदरि लगे बहु काढ़न।1। | त्यों त्यों सुकृत-सुभट कलि भूपहिं, निदरि लगे बहु काढ़न।1। | ||
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ज्यों ज्यों जल मलीन त्यों त्यों जमगन मुख मलीन लहै आढ़ न | ज्यों ज्यों जल मलीन त्यों त्यों जमगन मुख मलीन लहै आढ़ न | ||
तुलसिदास जगदघ जवास ज्यों अनघमेघ लगे डाढ़न।2। | तुलसिदास जगदघ जवास ज्यों अनघमेघ लगे डाढ़न।2। | ||
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स्ेाइअ सहित सनेेह देह भरि,कामधेनु कलि कासी। | स्ेाइअ सहित सनेेह देह भरि,कामधेनु कलि कासी। | ||
समनि सोक संताप पाप रूज, सकल-सुमंगल-रासी।1। | समनि सोक संताप पाप रूज, सकल-सुमंगल-रासी।1। | ||
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मरजादा चहुँ ओर चरनबर, सेवत सुरपुर-बासी। | मरजादा चहुँ ओर चरनबर, सेवत सुरपुर-बासी। | ||
तीरथ सब सुभ अंग रोम सिवलिंग अमित अविनासी।2। | तीरथ सब सुभ अंग रोम सिवलिंग अमित अविनासी।2। | ||
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अंतरऐन ऐन भल, थन फल, बच्छ बेद-बिस्वासी। | अंतरऐन ऐन भल, थन फल, बच्छ बेद-बिस्वासी। | ||
− | गलकंबल बरूना बिभा िजनु, लूम लसति, सरिताऽसि।3। | + | गलकंबल बरूना बिभा िजनु, लूम लसति, सरिताऽसि।3। |
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दंड पानि भैरव बिषान,तलरूचि-खलगन-भयदा-सी। | दंड पानि भैरव बिषान,तलरूचि-खलगन-भयदा-सी। | ||
लोलदिनेस त्रिलोचन लोचन, करनघंट घंटा-सी।4। | लोलदिनेस त्रिलोचन लोचन, करनघंट घंटा-सी।4। | ||
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मनिकर्निका बदन-ससि सुंदर, सुसरि-सुख सुखमा-सी। | मनिकर्निका बदन-ससि सुंदर, सुसरि-सुख सुखमा-सी। | ||
स्वारथ परमारथ परिपूरन,पंचकोसि महिमा-सी।5। | स्वारथ परमारथ परिपूरन,पंचकोसि महिमा-सी।5। | ||
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बिस्वनाथ पालक कृपालुचित7 लालति नित गिरजा-सी। | बिस्वनाथ पालक कृपालुचित7 लालति नित गिरजा-सी। | ||
सिद्धि, सची, सारद पूजहिं मन जोगवति रहति रमा-सी। | सिद्धि, सची, सारद पूजहिं मन जोगवति रहति रमा-सी। | ||
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पंचााच्छरी प्रान7 मुद माधव7 गब्य सुपंचनदा-सी। | पंचााच्छरी प्रान7 मुद माधव7 गब्य सुपंचनदा-सी। | ||
ब्रह्म-जीव-सम रामनाम जुग, आखर बिस्व बिकासी।7। | ब्रह्म-जीव-सम रामनाम जुग, आखर बिस्व बिकासी।7। | ||
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चारितु चरिति करम कुकरम करि, मरत जीवगन घासी। | चारितु चरिति करम कुकरम करि, मरत जीवगन घासी। | ||
लहत परम पद प्य पावन, जेहि चहत प्रपंच- उदासी।8। | लहत परम पद प्य पावन, जेहि चहत प्रपंच- उदासी।8। | ||
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कहत पुरान रची केसव निज कर-करतूति कला -सी। | कहत पुरान रची केसव निज कर-करतूति कला -सी। | ||
तुलसी बसि हरपुरी राम जपु, जो भयो चहै सुपासी।9। | तुलसी बसि हरपुरी राम जपु, जो भयो चहै सुपासी।9। | ||
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20:43, 6 अप्रैल 2011 का अवतरण
पद संख्या 21 तथा 22
(21)
ज्मुना ज्यों ज्यों लागी बाढ़न।
त्यों त्यों सुकृत-सुभट कलि भूपहिं, निदरि लगे बहु काढ़न।1।
ज्यों ज्यों जल मलीन त्यों त्यों जमगन मुख मलीन लहै आढ़ न
तुलसिदास जगदघ जवास ज्यों अनघमेघ लगे डाढ़न।2।
(22)
स्ेाइअ सहित सनेेह देह भरि,कामधेनु कलि कासी।
समनि सोक संताप पाप रूज, सकल-सुमंगल-रासी।1।
मरजादा चहुँ ओर चरनबर, सेवत सुरपुर-बासी।
तीरथ सब सुभ अंग रोम सिवलिंग अमित अविनासी।2।
अंतरऐन ऐन भल, थन फल, बच्छ बेद-बिस्वासी।
गलकंबल बरूना बिभा िजनु, लूम लसति, सरिताऽसि।3।
दंड पानि भैरव बिषान,तलरूचि-खलगन-भयदा-सी।
लोलदिनेस त्रिलोचन लोचन, करनघंट घंटा-सी।4।
मनिकर्निका बदन-ससि सुंदर, सुसरि-सुख सुखमा-सी।
स्वारथ परमारथ परिपूरन,पंचकोसि महिमा-सी।5।
बिस्वनाथ पालक कृपालुचित7 लालति नित गिरजा-सी।
सिद्धि, सची, सारद पूजहिं मन जोगवति रहति रमा-सी।
पंचााच्छरी प्रान7 मुद माधव7 गब्य सुपंचनदा-सी।
ब्रह्म-जीव-सम रामनाम जुग, आखर बिस्व बिकासी।7।
चारितु चरिति करम कुकरम करि, मरत जीवगन घासी।
लहत परम पद प्य पावन, जेहि चहत प्रपंच- उदासी।8।
कहत पुरान रची केसव निज कर-करतूति कला -सी।
तुलसी बसि हरपुरी राम जपु, जो भयो चहै सुपासी।9।