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"पर ए हुमा इक महान पर है / ज़िया फ़तेहाबादी" के अवतरणों में अंतर

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परिन्दा ऊँची उड़ान पर है  
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परिन्दा ऊँची उड़ान पर है |
 
ज़मीं को पामाल करने वाला  
 
ज़मीं को पामाल करने वाला  
दिमाग़ जो आसमान पर है  
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दिमाग़ जो आसमान पर है |
 
उतर के धरती पे आ न जाए  
 
उतर के धरती पे आ न जाए  
वो धूप जो सायबान पर है  
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वो धूप जो सायबान पर है |
 
कभी तो आएगी मेरे लब पर
 
कभी तो आएगी मेरे लब पर
वो बात जो हर ज़ुबान पर है  
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वो बात जो हर ज़ुबान पर है |
 
बिगड़ के जब से गया है कोई  
 
बिगड़ के जब से गया है कोई  
बनी हुई दिल पे जान पर है  
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बनी हुई दिल पे जान पर है |
 
क़दम हद ए लामकाँ में लेकिन  
 
क़दम हद ए लामकाँ में लेकिन  
नज़र अभी तक मकान पर है  
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नज़र अभी तक मकान पर है |
 
समुन्दरों से कहाँ  बुझेगी  
 
समुन्दरों से कहाँ  बुझेगी  
वो तिशनगी जो उठान पर है  
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वो तिशनगी जो उठान पर है |
 
" ज़िया " ये कैसी है बदगुमानी  
 
" ज़िया " ये कैसी है बदगुमानी  
शक उस को मेरे गुमान पर है
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शक उस को मेरे गुमान पर है |
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07:39, 7 अप्रैल 2011 का अवतरण

पर ए हुमा इक महान पर है |
परिन्दा ऊँची उड़ान पर है |
ज़मीं को पामाल करने वाला
दिमाग़ जो आसमान पर है |
उतर के धरती पे आ न जाए
वो धूप जो सायबान पर है |
कभी तो आएगी मेरे लब पर
वो बात जो हर ज़ुबान पर है |
बिगड़ के जब से गया है कोई
बनी हुई दिल पे जान पर है |
क़दम हद ए लामकाँ में लेकिन
नज़र अभी तक मकान पर है |
समुन्दरों से कहाँ बुझेगी
वो तिशनगी जो उठान पर है |
" ज़िया " ये कैसी है बदगुमानी
शक उस को मेरे गुमान पर है |