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"साँसों में दर्द भरा है/ विनय प्रजापति 'नज़र'" के अवतरणों में अंतर
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− | हर | + | आज हर मंज़र हरा है |
− | वह पहली नज़र से | + | वह पहली नज़र से मेरे |
− | + | शीश:-ए-दिल में ठहरा है | |
− | हर | + | हर-सू, हर शै में वह है |
− | और | + | और उसी का चेहरा है |
− | दर्द सिमटता नहीं | + | मेरा दर्द सिमटता नहीं |
− | + | हाले-दिल बहुत बुरा है | |
अंधेरों की आदत नहीं | अंधेरों की आदत नहीं | ||
− | जुगनुओं का पहरा है | + | सो जुगनुओं का पहरा है |
− | वह पसंद है मुझे | + | 'नज़र' वह पसंद है मुझे |
− | उसका दिल गहरा है | + | उसका दिल भी गहरा है |
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03:47, 9 अप्रैल 2011 का अवतरण
रचनाकाल : 2005
साँसों में दर्द भरा है
आज हर मंज़र हरा है
वह पहली नज़र से मेरे
शीश:-ए-दिल में ठहरा है
हर-सू, हर शै में वह है
और उसी का चेहरा है
मेरा दर्द सिमटता नहीं
हाले-दिल बहुत बुरा है
अंधेरों की आदत नहीं
सो जुगनुओं का पहरा है
'नज़र' वह पसंद है मुझे
उसका दिल भी गहरा है