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"साँसों में दर्द भरा है/ विनय प्रजापति 'नज़र'" के अवतरणों में अंतर

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'''रचनाकाल : 2005'''
  
 
साँसों में दर्द भरा है
 
साँसों में दर्द भरा है
हर मन्ज़र हरा है
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आज हर मंज़र हरा है
  
वह पहली नज़र से
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वह पहली नज़र से मेरे
इस दिल में ठहरा है
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शीश:-ए-दिल में ठहरा है
  
हर शय में वह है
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हर-सू, हर शै में वह है
और उसका चेहरा है
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और उसी का चेहरा है
  
दर्द सिमटता नहीं
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मेरा दर्द सिमटता नहीं
हाल हर पल बुरा है
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हाले-दिल बहुत बुरा है
  
 
अंधेरों की आदत नहीं
 
अंधेरों की आदत नहीं
जुगनुओं का पहरा है
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सो जुगनुओं का पहरा है
  
वह पसंद है मुझे
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'नज़र' वह पसंद है मुझे
उसका दिल गहरा है
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उसका दिल भी गहरा है
 
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'''रचनाकाल : 2005
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03:47, 9 अप्रैल 2011 का अवतरण

रचनाकाल : 2005

साँसों में दर्द भरा है
आज हर मंज़र हरा है

वह पहली नज़र से मेरे
शीश:-ए-दिल में ठहरा है

हर-सू, हर शै में वह है
और उसी का चेहरा है

मेरा दर्द सिमटता नहीं
हाले-दिल बहुत बुरा है

अंधेरों की आदत नहीं
सो जुगनुओं का पहरा है

'नज़र' वह पसंद है मुझे
उसका दिल भी गहरा है