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"जो लोग अच्छे होते हैं दिखते नहीं हैं/ विनय प्रजापति 'नज़र'" के अवतरणों में अंतर
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जो लोग अच्छे होते हैं दिखते नहीं हैं | जो लोग अच्छे होते हैं दिखते नहीं हैं | ||
− | + | सच्चे दोस्त बाज़ार में बिकते नहीं हैं | |
ख़ुद से पराया ग़ैरों से अपना रहे जो | ख़ुद से पराया ग़ैरों से अपना रहे जो | ||
− | ऐसे लोग | + | सच है ऐसे लोग दिल में टिकते नहीं हैं |
− | + | सूरतों में जो सीरत को छिपा लेते हैं | |
वो कभी सादा चेहरों में दिखते नहीं हैं | वो कभी सादा चेहरों में दिखते नहीं हैं | ||
− | + | होती है नुमाया<ref>प्रकट</ref> दिल की हर बात, दोस्त! | |
− | मन के भेद परदों में छिपते नहीं हैं | + | मन के भेद यूँ परदों में छिपते नहीं हैं |
− | + | इंसान है वह जो जाने इंसानियत को | |
हैवान कभी निक़ाबों में छिपते नहीं हैं | हैवान कभी निक़ाबों में छिपते नहीं हैं | ||
− | वक़्त | + | वक़्त तले दब जाती हैं कही-सुनी बातें |
− | हम कभी कुछ दिल में रखते नहीं हैं | + | हम कभी कुछ अपने दिल में रखते नहीं हैं |
पलटते हैं जो कभी माज़ी के पन्नों को | पलटते हैं जो कभी माज़ी के पन्नों को | ||
ये आँसू तेरी याद में रुकते नहीं हैं | ये आँसू तेरी याद में रुकते नहीं हैं | ||
− | + | न मरना आसाँ है, न जीना ही आसाँ है | |
− | चाहकर मिटने वाले मिटते नहीं हैं | + | चाहकर भी मिटने वाले मिटते नहीं हैं |
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23:46, 9 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
लेखन वर्ष: २००४/२०११
जो लोग अच्छे होते हैं दिखते नहीं हैं
सच्चे दोस्त बाज़ार में बिकते नहीं हैं
ख़ुद से पराया ग़ैरों से अपना रहे जो
सच है ऐसे लोग दिल में टिकते नहीं हैं
सूरतों में जो सीरत को छिपा लेते हैं
वो कभी सादा चेहरों में दिखते नहीं हैं
होती है नुमाया<ref>प्रकट</ref> दिल की हर बात, दोस्त!
मन के भेद यूँ परदों में छिपते नहीं हैं
इंसान है वह जो जाने इंसानियत को
हैवान कभी निक़ाबों में छिपते नहीं हैं
वक़्त तले दब जाती हैं कही-सुनी बातें
हम कभी कुछ अपने दिल में रखते नहीं हैं
पलटते हैं जो कभी माज़ी के पन्नों को
ये आँसू तेरी याद में रुकते नहीं हैं
न मरना आसाँ है, न जीना ही आसाँ है
चाहकर भी मिटने वाले मिटते नहीं हैं
शब्दार्थ
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