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"अश्क़ पलकों पे फिर सजाऊं क्या / ज़िया फ़तेहाबादी" के अवतरणों में अंतर
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अश्क़ पलकों पे फिर सजाऊं क्या ? | अश्क़ पलकों पे फिर सजाऊं क्या ? | ||
फिर मुहब्बत के गीत गाऊं क्या ? | फिर मुहब्बत के गीत गाऊं क्या ? | ||
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दिल ही जब बुझ गया तो ऐ शब ए ग़म | दिल ही जब बुझ गया तो ऐ शब ए ग़म | ||
आँधियों में दिये जलाऊं क्या ? | आँधियों में दिये जलाऊं क्या ? | ||
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आफ़तें हैं तो ज़िन्दगी भी है | आफ़तें हैं तो ज़िन्दगी भी है | ||
आफ़तों से निजात पाऊं क्या ? | आफ़तों से निजात पाऊं क्या ? | ||
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राज़दार ए अलम, शरीक ए ग़म | राज़दार ए अलम, शरीक ए ग़म | ||
दर ओ दीवार को बनाऊं क्या ? | दर ओ दीवार को बनाऊं क्या ? | ||
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तीरह ओ तार है मेरी दुनिया | तीरह ओ तार है मेरी दुनिया | ||
मेहर ओ माह का फ़रेब खाऊं क्या ? | मेहर ओ माह का फ़रेब खाऊं क्या ? | ||
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लाख परदे , हज़ार चहरे हैं | लाख परदे , हज़ार चहरे हैं | ||
ऐ " ज़िया " अब नज़र हटाऊं क्या ? | ऐ " ज़िया " अब नज़र हटाऊं क्या ? | ||
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12:05, 11 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
अश्क़ पलकों पे फिर सजाऊं क्या ?
फिर मुहब्बत के गीत गाऊं क्या ?
दिल ही जब बुझ गया तो ऐ शब ए ग़म
आँधियों में दिये जलाऊं क्या ?
आफ़तें हैं तो ज़िन्दगी भी है
आफ़तों से निजात पाऊं क्या ?
राज़दार ए अलम, शरीक ए ग़म
दर ओ दीवार को बनाऊं क्या ?
तीरह ओ तार है मेरी दुनिया
मेहर ओ माह का फ़रेब खाऊं क्या ?
लाख परदे , हज़ार चहरे हैं
ऐ " ज़िया " अब नज़र हटाऊं क्या ?