भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"घर / मरीना स्विताएवा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मरीना स्विताएवा |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <Poem> जिन लोगों न…)
 
 
पंक्ति 21: पंक्ति 21:
 
         मैंने भी घर नहीं बनाए
 
         मैंने भी घर नहीं बनाए
 
    
 
    
'''मूल रूसी भाषा से अनुवाद : रमेश कौशिक
+
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : रमेश कौशिक
 
</poem>
 
</poem>

12:45, 11 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

जिन लोगों ने
       घर नहीं बनाए
        वे अयोग्य हैं
           इस धरती के

जिन लोगों ने
         घर नहीं बनाए
         इस धरती पर
         नहीं लौट कर
         आ सकते वे
         भूसे या भस्मी हित शायद
         कभी न धरती पर आ सकते

         मैंने भी घर नहीं बनाए
  
अँग्रेज़ी से अनुवाद : रमेश कौशिक