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"बताऊँ क्यों अजीब हूँ / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'" के अवतरणों में अंतर
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10:00, 14 अप्रैल 2011 का अवतरण
बताऊँ क्यों अजीब हूँ
मैं शायर-ओ-अदीब हूँ
हैं आप मेरे हमसफ़र
मैं कितना खुशनसीब हूँ
मैं खुद से दूर हो गया
हुज़ूर से क़रीब हूँ
धनी हूँ बात का सनम
मैं आदमी ग़रीब हूँ
हयात के कफ़स में हूँ
मैं एक अन्दलीब हूँ
ओ जानेमन यक़ीन कर
फ़क़त तेरा हबीब हूँ
कभी - कभी ये लगता है
मैं अपना ही 'रक़ीब' हूँ