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"कभी बन के बूंद पानी की / मंजुला सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

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कभी बन के बूंद पानी की
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कभी बन के बूँद पानी की
बादलों से गिरती हूँ .
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कांपती हूँ, डरती हूँ,
 
कांपती हूँ, डरती हूँ,
यूं ही सहमी फिरती हूँ .
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यूं ही सहमी फिरती हूँ
क्या पता किधर जाऊं?
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क्या पता किधर जाऊँ ?
सोख ले मिझे माती या
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सोख ले मिझे माटी या
नहर में घुल जाऊं .
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नहर में घुल जाऊँ ।
 
काश! ऐसा भी हो कि
 
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सीप कोई खाली हो
 
सीप कोई खाली हो
एक बूंद बन के भी मोती
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एक बूँद बन के भी मोती
में बदल जाऊं !
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में बदल जाऊँ !
  
'''लेखन काल: १९८३'''
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'''रचनाकाल: १९८३'''
 
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12:51, 15 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

कभी बन के बूँद पानी की
बादलों से गिरती हूँ ।
कांपती हूँ, डरती हूँ,
यूं ही सहमी फिरती हूँ ।
क्या पता किधर जाऊँ ?
सोख ले मिझे माटी या
नहर में घुल जाऊँ ।
काश! ऐसा भी हो कि
सीप कोई खाली हो
एक बूँद बन के भी मोती
में बदल जाऊँ !

रचनाकाल: १९८३