"मन ही मन मुस्कुरा रही है जाड़े की धूप/ विनय प्रजापति 'नज़र'" के अवतरणों में अंतर
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मन ही मन मुस्कुरा रही है जाड़े की धूप | मन ही मन मुस्कुरा रही है जाड़े की धूप | ||
− | + | सर्द सफ़्हे<ref>पन्ने</ref> गरमा रही है जाड़े की धूप | |
− | + | उड़ती फिरती है ये नरमो-सख़्त<ref>नर्म और कड़े</ref> पत्तों पर | |
− | + | हर दिल में गीत गा रही है जाड़े की धूप | |
− | गहरी नीली शाल में | + | गहरी नीली शाल में लिपटा दिखा था चाँद |
− | + | बीते पल-छिन<ref>समय के टुकड़े</ref> उड़ा रही है जाड़े की धूप | |
− | कब से मुब्तिला थी गुलाबी गुलों में ख़ुशबू | + | कब से मुब्तिला<ref>क़ैद</ref> थी गुलाबी गुलों में ख़ुशबू |
− | + | सारे ख़ाब महका रही है जाड़े की धूप | |
− | + | उफ़क़<ref>सुबह का आसमान</ref> से शफ़क़<ref>शाम का आसमान</ref> तक बह रही है तेरी रोशनी | |
− | + | दिल के ज़ख़्म सहला रही है जाड़े की धूप | |
− | + | ज़िंदगी वक़्त की धुंध में और दिखती नहीं | |
− | + | अश्को-अब्र<ref>आँसू और बादल</ref> बरसा रही है जाड़े की धूप | |
− | इस सिम्त मैं हूँ उस सिम्त तन्हा तुम | + | इस सिम्त<ref>दिशा, ओर</ref> मैं तड़पता हूँ उस सिम्त तन्हा तुम |
− | + | हमको इक जा<ref>जगह</ref> बुला रही है जाड़े की धूप | |
मैंने कभी कहा नहीं तुमने कभी सुना नहीं | मैंने कभी कहा नहीं तुमने कभी सुना नहीं | ||
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16:05, 16 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
रचनाकाल : २००३/२०११
मन ही मन मुस्कुरा रही है जाड़े की धूप
सर्द सफ़्हे<ref>पन्ने</ref> गरमा रही है जाड़े की धूप
उड़ती फिरती है ये नरमो-सख़्त<ref>नर्म और कड़े</ref> पत्तों पर
हर दिल में गीत गा रही है जाड़े की धूप
गहरी नीली शाल में लिपटा दिखा था चाँद
बीते पल-छिन<ref>समय के टुकड़े</ref> उड़ा रही है जाड़े की धूप
कब से मुब्तिला<ref>क़ैद</ref> थी गुलाबी गुलों में ख़ुशबू
सारे ख़ाब महका रही है जाड़े की धूप
उफ़क़<ref>सुबह का आसमान</ref> से शफ़क़<ref>शाम का आसमान</ref> तक बह रही है तेरी रोशनी
दिल के ज़ख़्म सहला रही है जाड़े की धूप
ज़िंदगी वक़्त की धुंध में और दिखती नहीं
अश्को-अब्र<ref>आँसू और बादल</ref> बरसा रही है जाड़े की धूप
इस सिम्त<ref>दिशा, ओर</ref> मैं तड़पता हूँ उस सिम्त तन्हा तुम
हमको इक जा<ref>जगह</ref> बुला रही है जाड़े की धूप
मैंने कभी कहा नहीं तुमने कभी सुना नहीं
हर्फ़े-इश्क़<ref>इश्क़ के शब्द</ref> समझा रही है जाड़े की धूप