भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~* | ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~* | ||
− | + | <table width=90% align=center><tr><td valign=top> | |
* मधुबाला | * मधुबाला | ||
* नीड का निर्माण | * नीड का निर्माण | ||
पंक्ति 18: | पंक्ति 18: | ||
* अंधेरे का दीपक | * अंधेरे का दीपक | ||
* बहुत दिनों पर | * बहुत दिनों पर | ||
− | * दिन जल्दी जल्दी | + | * दिन जल्दी जल्दी ढलता है |
* एकांत संगीत | * एकांत संगीत | ||
− | * ड्राइंग रूम में | + | * ड्राइंग रूम में मरता हुआ गुलाब |
* इस पार उस पार | * इस पार उस पार | ||
− | * जाओ कल्पित साथी | + | * जाओ कल्पित साथी मन के |
* जीवन की आपाधापी में | * जीवन की आपाधापी में | ||
− | * जो बीत गई सो बात | + | * जो बीत गई सो बात गयी |
+ | |||
+ | </td> | ||
+ | <td valign=top> | ||
+ | |||
* जुगनू | * जुगनू | ||
− | * कहते हैं तारे | + | * कहते हैं तारे गाते हैं |
− | * कैसे भेंट तुम्हारी | + | * कैसे भेंट तुम्हारी ले लूँ |
* कोई पार नदी के गाता | * कोई पार नदी के गाता | ||
− | * क्या भूलूं क्या | + | * क्या भूलूं क्या याद करूँ मैं |
− | * लो दिन बीता | + | * लो दिन बीता लो रात गयी |
* मेरा संबल | * मेरा संबल | ||
− | * मुझसे चांद कहा | + | * मुझसे चांद कहा करता है |
* पथ की पहचान | * पथ की पहचान | ||
− | * साथी साथ ना | + | * साथी साथ ना देगा दुख भी |
* यात्रा और यात्री | * यात्रा और यात्री | ||
* युग की उदासी | * युग की उदासी | ||
* आज मुझसे बोल बादल | * आज मुझसे बोल बादल | ||
* क्या है मेरी बारी में | * क्या है मेरी बारी में | ||
− | * क्या करूं संवेदना लेकर | + | * क्या करूं संवेदना लेकर तुम्हारी |
− | * लहर सागर का | + | * लहर सागर का श्रृंगार नहीं |
* नव वर्ष | * नव वर्ष | ||
* पपीहे की रटन | * पपीहे की रटन | ||
− | * साथी सो ना | + | * साथी सो ना कर कुछ बात |
* तब रोक ना पाया मैं आंसू | * तब रोक ना पाया मैं आंसू | ||
− | * त्राहि त्राहि | + | * त्राहि त्राहि कर उठता जीवन |
− | * तुम गा दो | + | * तुम गा दो मेरा गान अमर हो जाये |
* तुम तूफ़ान समझ पाओगे | * तुम तूफ़ान समझ पाओगे | ||
* आज तुम मेरे लिये हो | * आज तुम मेरे लिये हो | ||
पंक्ति 53: | पंक्ति 57: | ||
* कोई गाता मैं सो जाता | * कोई गाता मैं सो जाता | ||
* साथी, सब कुछ सहना होगा | * साथी, सब कुछ सहना होगा | ||
+ | |||
+ | </td></tr></table> |
15:51, 19 जुलाई 2006 का अवतरण
हरिवंशराय बच्चन की कविताएं
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
|
|