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"सिन्धु-वेला / रवीन्द्र भ्रमर" के अवतरणों में अंतर
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सिंधु-वेला । | सिंधु-वेला । | ||
− | तप्त रेती पर | + | तप्त रेती पर पड़ा चुपचाप मोती सोचता है, आह ! |
मेरा सीप, मेरा दूधिया घर, | मेरा सीप, मेरा दूधिया घर, | ||
− | क्या हुआ, किसने | + | क्या हुआ, किसने उजाड़ा मुझे |
− | ज्वार आए, गए, जल-तल | + | ज्वार आए, गए, जल-तल शाँत-निश्चल, |
− | मैं | + | मैं यहाँ निरुपाय ऐसे ही तपूँगा । |
− | ओ लहर! फिर लौट आ मुझको बहा ले चल । | + | ओ लहर ! फिर लौट आ मुझको बहा ले चल । |
बहुत संभव, फिर न मुझको मिले | बहुत संभव, फिर न मुझको मिले | ||
मेरा सीप, मेरा दूधिया घर । | मेरा सीप, मेरा दूधिया घर । | ||
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ओ लहर! फिर लौट आ मुझको बहा ले चल । | ओ लहर! फिर लौट आ मुझको बहा ले चल । | ||
− | तप्त रेती पर | + | तप्त रेती पर पड़ा चुपचाप मोती सोचता है । |
सिंधु-वेला । | सिंधु-वेला । | ||
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10:41, 29 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
सिंधु-वेला ।
तप्त रेती पर पड़ा चुपचाप मोती सोचता है, आह !
मेरा सीप, मेरा दूधिया घर,
क्या हुआ, किसने उजाड़ा मुझे
ज्वार आए, गए, जल-तल शाँत-निश्चल,
मैं यहाँ निरुपाय ऐसे ही तपूँगा ।
ओ लहर ! फिर लौट आ मुझको बहा ले चल ।
बहुत संभव, फिर न मुझको मिले
मेरा सीप, मेरा दूधिया घर ।
किंतु, माता-भूमि ।
आह ! स्वर्गिक भूमि ।।
सिंधु, उसकी अनथही गहराइयाँ
शंख, घोंघे, मछलियाँ, साथी-संघाती,
आह ! माता भूमि !
ओ लहर! फिर लौट आ मुझको बहा ले चल ।
तप्त रेती पर पड़ा चुपचाप मोती सोचता है ।
सिंधु-वेला ।