भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"`रेखाओं’ क्षणिकाएँ-2/रमा द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna | रचनाकार=रमा द्विवेदी }} <poem> ६- एक लक्ष्मण रेखा, क्या लांघी…)
 
(कोई अंतर नहीं)

15:32, 3 मई 2011 के समय का अवतरण


६- एक लक्ष्मण रेखा,
क्या लांघी?
सीता हरण हो गया,
भयंकर राम-रावण युद्ध,
एक युग का अन्त।

७-रेखाओं का जाल,
उलझती जीवन शैली
का मापदंड।

८- समानान्तर रेखाएँ
किसी को काटती नहीं,
इसलिए जीवन का बीजगणित,
अर्थवान हो उठता है।

९- मेहनत!
भाग्य रेखाओं को,
नया मोड़ दे देती है।

१०- जीवन का समीकरण,
सिर्फ
भाग्य रेखाओं से नहीं बनता।