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ऐसेउ भाग भगे दसभाल तेें जो प्रभुता कबि-कोबिद गावैं।  
 
ऐसेउ भाग भगे दसभाल तेें जो प्रभुता कबि-कोबिद गावैं।  
 
रामके बाम भएँ तेहि बामहि बाम सबै सुख संपति लावैं।2।
 
रामके बाम भएँ तेहि बामहि बाम सबै सुख संपति लावैं।2।
 
(3)
 
 
बेद बिरूद्ध मही, मुनि साधु ससोक किए सुरलोकु उजारो।
 
और कहा कहौं , तीय हरी, तबहूँ करूनाकर कोपु न धारो।।
 
 
सेवक-छोह तें छाड़ी छमा , तुलसी लख्यो राम! सुभाउ तिहारो। 
 
तौलौं न दापु दल्यौ दसकंधर, जौलौं बिभीषन लातु न मारो।3।
 
  
  
 
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08:58, 6 मई 2011 के समय का अवतरण



भाग-7 उत्तर काण्ड प्रारंभ

 राम की कृपालुता

(1)

बालि-सो बीरू बिदारि सुकंठु, थप्यो, हरषे सुर बाजने बाजे।
पल में दल्यो दासरथीं दसकंधरू, लंक बिभीषनु राज बिराजे।।

 राम सुभाउ सुनें ‘तुलसी’ हुलसै अलसी हम-से गलगाजे।
कायर क्रूर कपूतनकी हद, तेउ गरीबनेवाज नेवाजे।1।
 
(2)

बेद पढ़ैं बिधि, संभुसभीत पुजावन रावनसों नितु आवैं ।
दानव देव दयावने दीन दुखी दिन दूरिहि तेें सिरू नावैं।।

ऐसेउ भाग भगे दसभाल तेें जो प्रभुता कबि-कोबिद गावैं।
रामके बाम भएँ तेहि बामहि बाम सबै सुख संपति लावैं।2।