भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मारना / उदय प्रकाश" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उदय प्रकाश }} आदमी मरने के बाद कुछ नहीं सोचता. आदमी म...)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
|रचनाकार=उदय प्रकाश
+
|रचनाकार=उदयप्रकाश
 
}}
 
}}
  

19:18, 21 फ़रवरी 2008 का अवतरण


आदमी

मरने के बाद

कुछ नहीं सोचता.


आदमी

मरने के बाद

कुछ नहीं बोलता.


कुछ नहीं सोचने

और कुछ नहीं बोलने पर

आदमी

मर जाता है.