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"मै पाऊँ तुमको जिधर भी निगाह करता हूँ / त्रिपुरारि कुमार शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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00:33, 25 मई 2011 का अवतरण

मै पाऊँ तुमको जिधर भी निगाह करता हूँ

मै जान बुझ कर कोई गुनाह करता हूँ


किए हैं वक्त ने जो ज़ुल्म मेरे साथ कई

उन्हें मैं याद करूँ जब भी आह करता हूँ


मेरी निगाह पे छाई है ये पलकें किसकी

मै अपनी नज़्म से ख़ुद ही निकाह करता हूँ


हरेक पल मै तुम्हें देखता मंजिल की तरह

किसी भी सम्त अगर अपनी राह करता हूँ


वो नूर गैर की आंखों का है वो मेरा कहाँ

बुझे दीये से उजालों की चाह करता हूँ