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"मै पाऊँ तुमको जिधर भी निगाह करता हूँ / त्रिपुरारि कुमार शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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मै पाऊँ तुमको जिधर भी निगाह करता हूँ
 
मै पाऊँ तुमको जिधर भी निगाह करता हूँ
 
 
मै जान बुझ कर कोई गुनाह करता हूँ
 
मै जान बुझ कर कोई गुनाह करता हूँ
 
  
 
किए हैं वक्त ने जो ज़ुल्म मेरे साथ कई
 
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उन्हें मैं याद करूँ जब भी आह करता हूँ
 
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मेरी निगाह पे छाई है ये पलकें किसकी
 
मेरी निगाह पे छाई है ये पलकें किसकी
 
 
मै अपनी नज़्म से ख़ुद ही निकाह करता हूँ
 
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हरेक पल मै तुम्हें देखता मंजिल की तरह
 
हरेक पल मै तुम्हें देखता मंजिल की तरह
 
 
किसी भी सम्त अगर अपनी राह करता हूँ
 
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वो नूर गैर की आंखों का है वो मेरा कहाँ
 
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बुझे दीये से उजालों की चाह करता हूँ
 
बुझे दीये से उजालों की चाह करता हूँ
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01:25, 25 मई 2011 का अवतरण

मै पाऊँ तुमको जिधर भी निगाह करता हूँ
मै जान बुझ कर कोई गुनाह करता हूँ

किए हैं वक्त ने जो ज़ुल्म मेरे साथ कई
उन्हें मैं याद करूँ जब भी आह करता हूँ

मेरी निगाह पे छाई है ये पलकें किसकी
मै अपनी नज़्म से ख़ुद ही निकाह करता हूँ

हरेक पल मै तुम्हें देखता मंजिल की तरह
किसी भी सम्त अगर अपनी राह करता हूँ

वो नूर गैर की आंखों का है वो मेरा कहाँ
बुझे दीये से उजालों की चाह करता हूँ