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"रात किस तरह यहाँ हमने बितायी होगी / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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हम न होंगे तो क़यामत नहीं आयी होगी
 
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रन चहरे का तेरे अब भी ये कहता है, गुलाब!
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रंग चहरे का तेरे अब भी ये कहता है, गुलाब!
 
रात भर आँख सितारों से लड़ायी होगी
 
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00:19, 15 जून 2011 का अवतरण


रात किस तरह यहाँ हमने बिताई होगी
बात यह आपके जी में भी तो आई होगी!

तड़पी होगी कोई बिजली भी तो उस दिल में कभी!
कोई बरसात उन आँखों में भी तो छायी होगी!

हम कहाँ और कहाँ आपसे मिलने का ख्याल!
किसी दुश्मन ने ये बेपर की उडायी होगी

अपनी नागिन-सी लटें खोल दी होंगी उसने
हम न होंगे तो क़यामत नहीं आयी होगी

रंग चहरे का तेरे अब भी ये कहता है, गुलाब!
रात भर आँख सितारों से लड़ायी होगी