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"दिल तो मिलता है, निगाहें न मिलें भी तो क्या !/ गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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06:53, 23 जून 2011 का अवतरण


दिल तो मिलता है, निगाहें न मिलें भी तो क्या!
कह दें आँखों से, न ये होंठ हिले भी तो क्या!

उड़के खुशबू तो उन आँखों की मिली है हरदम
हमको नज़रों के इशारे न मिलें भी तो क्या!

उनके दिल में तो बसी तेरी ही रंगत है गुलाब!
फूल लाखों जो बहारों में खिले भी तो क्या!