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"नज़र नज़र से ही टकराए और कुछ मत हो / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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− | नज़र नज़र से ही | + | नज़र नज़र से ही टकराये और कुछ मत हो |
कभी तो हमसे वो शरमाये, और कुछ मत हो | कभी तो हमसे वो शरमाये, और कुछ मत हो | ||
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मिलो कहीं तो निगाहों से पूछ भर लेना | मिलो कहीं तो निगाहों से पूछ भर लेना | ||
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मिली है एक ही जीवन में यह बहार की रात | मिली है एक ही जीवन में यह बहार की रात | ||
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बुला लिया है उसे घर पे हमने आज, मगर | बुला लिया है उसे घर पे हमने आज, मगर | ||
− | मना रहे हैं नहीं | + | मना रहे हैं नहीं आये, और कुछ मत हो |
गुलाब देख तो लेंगे उन्हें आते-जाते | गुलाब देख तो लेंगे उन्हें आते-जाते | ||
− | नज़र भले ही न मिल | + | नज़र भले ही न मिल पाये, और कुछ मत हो |
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01:45, 25 जून 2011 का अवतरण
नज़र नज़र से ही टकराये और कुछ मत हो
कभी तो हमसे वो शरमाये, और कुछ मत हो
कभी तो तुमको भी भाता था बोलना हमसे
कभी तो हम भी तुम्हें भाये, और कुछ मत हो
मिलो कहीं तो निगाहों से पूछ भर लेना
ज़रा-सा होंठ ही थर्राये, और कुछ मत हो
मिली है एक ही जीवन में यह बहार की रात
कहीं न यह भी निकल जाये, और कुछ मत हो
बुला लिया है उसे घर पे हमने आज, मगर
मना रहे हैं नहीं आये, और कुछ मत हो
गुलाब देख तो लेंगे उन्हें आते-जाते
नज़र भले ही न मिल पाये, और कुछ मत हो