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"मुझे भी अपना बना लो, बहुत उदास हूँ मैं / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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अब इससे बढ़के कँटीली भी राह क्या होगी | अब इससे बढ़के कँटीली भी राह क्या होगी | ||
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झकोरे खाने लगी नाव आके तीर के पास | झकोरे खाने लगी नाव आके तीर के पास |
02:07, 25 जून 2011 का अवतरण
मुझे भी अपना बना लो, बहुत उदास हूँ मैं
गले से आ के लगा लो, बहुत उदास हूँ मैं
अँधेरा लूटने आया है रोशनी का सुहाग
दिया कोई तो जला लो, बहुत उदास हूँ मैं
नये सिरे से सजायेंगे ज़िन्दगी को आज
फिर अपने पास बुला लो, बहुत उदास हूँ मैं
गिरे थे तुम भी तो ऐसे ही चोट खा के कभी
हँसो न देखनेवालो! बहुत उदास हूँ मैं
अब इससे बढ़के कँटीली भी राह क्या होगी
खिलो भी पाँव के छालो! बहुत उदास हूँ मैं
झकोरे खाने लगी नाव आके तीर के पास
बचा सको तो बचा लो, बहुत उदास हूँ मैं
बिखर चली हैं पँखुरियाँ गुलाब की सब ओर
कोई तो आके सँभालो, बहुत उदास हूँ मैं