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"मिलने की हर खुशी में बिछुड़ने का ग़म हुआ / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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− | मिलने की हर | + | मिलने की हर ख़ुशी में बिछुड़ने का गम हुआ |
− | एहसान उनका | + | एहसान उनका ख़ूब हुआ फिर भी कम हुआ |
− | कुछ तो नज़र का उनकी भी इसमें | + | कुछ तो नज़र का उनकी भी इसमें क़सूर था |
देखा जिसे भी प्यार का उसको वहम हुआ | देखा जिसे भी प्यार का उसको वहम हुआ | ||
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ज्यों ही लगी थी फैलाने घर में दिए की जोत | ज्यों ही लगी थी फैलाने घर में दिए की जोत | ||
− | त्योंही हवा का | + | त्योंही हवा का रुख़ भी बहुत बेरहम हुआ |
कुछ तो चढ़ा था पहले से हम पर नशा, मगर | कुछ तो चढ़ा था पहले से हम पर नशा, मगर | ||
कुछ आपका भी सामने आना सितम हुआ | कुछ आपका भी सामने आना सितम हुआ | ||
− | आती नहीं है प्यार की | + | आती नहीं है प्यार की ख़ुशबू कहीं से आज |
लगता है अब गुलाब का खिलना भी कम हुआ | लगता है अब गुलाब का खिलना भी कम हुआ | ||
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02:11, 25 जून 2011 का अवतरण
मिलने की हर ख़ुशी में बिछुड़ने का गम हुआ
एहसान उनका ख़ूब हुआ फिर भी कम हुआ
कुछ तो नज़र का उनकी भी इसमें क़सूर था
देखा जिसे भी प्यार का उसको वहम हुआ
नज़रें मिलीं तो मिल के झुकीं, झुक के मुड़ गयीं
यह बेबसी कि आँख का कोना न नम हुआ
ज्यों ही लगी थी फैलाने घर में दिए की जोत
त्योंही हवा का रुख़ भी बहुत बेरहम हुआ
कुछ तो चढ़ा था पहले से हम पर नशा, मगर
कुछ आपका भी सामने आना सितम हुआ
आती नहीं है प्यार की ख़ुशबू कहीं से आज
लगता है अब गुलाब का खिलना भी कम हुआ