भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
कह दें आँखों से, न ये होंठ हिले भी तो क्या!
उड़के खुशबू ख़ुशबू तो उन आँखों की मिली है हरदम
हमको नज़रों के इशारे न मिलें भी तो क्या!
उनके दिल में तो बसी तेरी ही रंगत है गुलाब!
फूल लाखों जो बहारों में खिले खिलें भी तो क्या!
<poem>
2,913
edits