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"उतरती आ रही हैं प्राण में परछाइयाँ किसकी! / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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− | उतरती आ रही हैं प्राण में | + | उतरती आ रही हैं प्राण में परछाइयाँ किसकी! |
− | हवा में गूँजती हैं प्यार की | + | हवा में गूँजती हैं प्यार की शहनाइयाँ किसकी! |
ये किसकी याद ने रातों उन्हें बेसुध बनाया है! | ये किसकी याद ने रातों उन्हें बेसुध बनाया है! | ||
− | तड़पकर रह गयीं शीशे में ये | + | तड़पकर रह गयीं शीशे में ये अंगड़ाइयाँ किसकी! |
लिए जीने की मजबूरी खड़े हैं तीर पर हम-तुम | लिए जीने की मजबूरी खड़े हैं तीर पर हम-तुम | ||
− | गले मिलकर चली लहरों में ये | + | गले मिलकर चली लहरों में ये परछाइयाँ किसकी! |
हुए देखे बहुत दिन फिर भी अक्सर याद आती हैं | हुए देखे बहुत दिन फिर भी अक्सर याद आती हैं | ||
− | वो भोली-भाली सूरत और वे | + | वो भोली-भाली सूरत और वे अच्छाइयाँ किसकी! |
कोई जैसे मुझे अब दूर से आवाज़ देता है | कोई जैसे मुझे अब दूर से आवाज़ देता है | ||
− | बुलाती हैं गुलाब आँखों की वे | + | बुलाती हैं गुलाब आँखों की वे अमराइयाँ किसकी! |
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09:23, 2 जुलाई 2011 का अवतरण
उतरती आ रही हैं प्राण में परछाइयाँ किसकी!
हवा में गूँजती हैं प्यार की शहनाइयाँ किसकी!
ये किसकी याद ने रातों उन्हें बेसुध बनाया है!
तड़पकर रह गयीं शीशे में ये अंगड़ाइयाँ किसकी!
लिए जीने की मजबूरी खड़े हैं तीर पर हम-तुम
गले मिलकर चली लहरों में ये परछाइयाँ किसकी!
हुए देखे बहुत दिन फिर भी अक्सर याद आती हैं
वो भोली-भाली सूरत और वे अच्छाइयाँ किसकी!
कोई जैसे मुझे अब दूर से आवाज़ देता है
बुलाती हैं गुलाब आँखों की वे अमराइयाँ किसकी!