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"एक अनजान बिसुधपन में जो हुआ सो ठीक / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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− | प्यार के एक मधुर क्षण में जो हुआ सो ठीक | + | प्यार के एक मधुर क्षण में, जो हुआ सो ठीक |
दोष होता नहीँ यौवन में, जो हुआ सो ठीक | दोष होता नहीँ यौवन में, जो हुआ सो ठीक | ||
− | हट गयी चाँद की आँखों से झिझक | + | हट गयी चाँद की आँखों से झिझक पिछली रात |
काँपती झील के दर्पण में जो हुआ सो ठीक | काँपती झील के दर्पण में जो हुआ सो ठीक | ||
आँसुओं ने दी बहा याद हमारी उनसे | आँसुओं ने दी बहा याद हमारी उनसे | ||
− | + | कोई काँटा न रहा मन में, जो हुआ सो ठीक | |
कुछ कहीं भी न हुआ मैं तो क्या हुआ इससे! | कुछ कहीं भी न हुआ मैं तो क्या हुआ इससे! |
09:27, 2 जुलाई 2011 का अवतरण
एक अनजान बिसुधपन में जो हुआ सो ठीक
सोच किस-किस का हो जीवन में, जो हुआ सो ठीक
प्यार के एक मधुर क्षण में, जो हुआ सो ठीक
दोष होता नहीँ यौवन में, जो हुआ सो ठीक
हट गयी चाँद की आँखों से झिझक पिछली रात
काँपती झील के दर्पण में जो हुआ सो ठीक
आँसुओं ने दी बहा याद हमारी उनसे
कोई काँटा न रहा मन में, जो हुआ सो ठीक
कुछ कहीं भी न हुआ मैं तो क्या हुआ इससे!
और क्या होता एक क्षण में, जो हुआ सो ठीक
प्यार की राह में माना कि मिट गए हैं गुलाब
गंध तो रह गयी उपवन में, जो हुआ सो ठीक