भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कुछ उन्हें मेरा ध्यान हो भी तो / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) |
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 20: | पंक्ति 20: | ||
मेरी ग़ज़लों में ढूँढ़ लेना मुझे | मेरी ग़ज़लों में ढूँढ़ लेना मुझे | ||
− | नहीं कोई निशान हो भी तो | + | नहीं कोई निशान हो भी तो |
रंग तो है नया, गुलाब! मगर | रंग तो है नया, गुलाब! मगर | ||
− | लोग क्यों लेंगे मान, हो भी तो | + | लोग क्यों लेंगे मान, हो भी तो! |
<poem> | <poem> |
01:42, 7 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
कुछ उन्हें मेरा ध्यान हो भी तो!
आये जो मन में ठान, हो भी तो!
कुछ तो चुप्पी में भी कह जाता हूँ
उनको आँखों में कान हो भी तो!
वह कलेजे से लगा लें बढ़कर
मेरे मरने में जान हो भी तो!
मेरी उम्मीद बचपना छोड़े
उनकी चाहत जवान हो भी तो!
मेरी ग़ज़लों में ढूँढ़ लेना मुझे
नहीं कोई निशान हो भी तो
रंग तो है नया, गुलाब! मगर
लोग क्यों लेंगे मान, हो भी तो!