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"खिली गुलाब की दुनिया तो है सभी के लिये / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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न मौत के लिये आये न ज़िन्दगी के लिये | न मौत के लिये आये न ज़िन्दगी के लिये |
01:50, 7 जुलाई 2011 का अवतरण
खिली गुलाब की दुनिया तो है सभी के लिये
मगर गुलाब है खिलता किसी-किसीके लिये
न मौत के लिये आये न ज़िन्दगी के लिये
तड़पने आये हैं दुनिया में दो घड़ी के लिये
अदाएं तेरी जो, ऐ ज़िन्दगी! सँभाल सके
कलेजा चाहिए पत्थर का आदमी के लिये
ये हमने माना कि जीवन है एक अँधेरी रात
कभी तो वे भी चले आयें रोशनी के लिये
करेगा कौन उन्हें प्यार अब हमारी तरह!
न चाँद फिर कभी निकलेगा चाँदनी के लिये
जहां भी होती है चर्चा तेरी रंगीनी की
हमारा नाम भी लेते हैं सादगी के लिये